याद आती हैं रवनियाँ बचपन की फटकार नानी की, शैतानियां बचपन की वो पतली सी डगर, वो लंबी सी नहर वो बागीचों की हवा, वो मस्ती की लहर भूले नहीं भुलातीं, कहानियां बचपन की वो कुटाई बाबू की, शैतानियां बचपन की। वो गन्ने की मिठास, वो चिरकुटई का अंदाज वो पतंगबाज़ी के दौर, गगन चूमने का प्रयास। भूले नही भुलातीं, कहानियां बचपन कीं वो भुट्टे की चोरी, शैतानियां बचपन की ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।