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होंठ और तिल गोरा गोरा सुन्दर मुखडा,होठों नीचे तिल

होंठ और तिल गोरा गोरा सुन्दर मुखडा,होठों नीचे तिल है।
मीठी  सी मुस्कान  लूट के  गयी,मेरा दिल है।।
चाल चलै नखराली गोरी,छम छम बाजै पायल।
दिल के बीच समा गई सूरत,कर गई मुझको घायल।।
हाथों में जब उसके कंगन, खन खन खनके।
कर धनिया की धुन को सुनकर  ,मेरा मनवा भटके।।
कवि रामदास गुर्जर होठ और तिल
होंठ और तिल गोरा गोरा सुन्दर मुखडा,होठों नीचे तिल है।
मीठी  सी मुस्कान  लूट के  गयी,मेरा दिल है।।
चाल चलै नखराली गोरी,छम छम बाजै पायल।
दिल के बीच समा गई सूरत,कर गई मुझको घायल।।
हाथों में जब उसके कंगन, खन खन खनके।
कर धनिया की धुन को सुनकर  ,मेरा मनवा भटके।।
कवि रामदास गुर्जर होठ और तिल