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तुम्हारे नजरों की बैसाखी के सहारे, बहुत दिन चले म

तुम्हारे नजरों की बैसाखी के सहारे, 
बहुत दिन चले मगर पहुँचे नहीं, 
जहाँ होना था तय वक़्त पर कोई और है
एक मजबूर की मदद का शुक्रिया, 
आप जो साथ चले, शुक्रिया ।
आपकी मेहरबानी में इश्क़ की खुशबू, 
मेरा भरम की खुद को काबिल समझा, 
यूँ मुशाफिर को भी पानी पूछने का चलन है, 
मुझे लगा, जान पहचान का है तरीका
सही वक़्त पर रुक्सत् करने का शुक्रिया
मेरा भरम न रखने का शुक्रिया ।

©AshuAkela
  #Problems #Sawal #Solution #Bharam #India #Shayar मेरा भरम न रखने का शुक्रिया
ashuakela5416

AshuAkela

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