मेरी बर्बादी की वजह तुम थे दिल दिमाग हर जगह में तुम थे तुझे भूल ना सके हर याद में तुम थे बेदर्दी कभी तो तेरे लिए भी सब कुछ हम थे तुम हवा के झोंके की तरह आए और चले गए हम तुम्हें दीवानों की तरह तकते रह गए तू बेवफा है यह जानते हैं पर क्या करें तुम्हें हम अपना मानते हैं काश जिंदगी में आगे बढ़ जाने की दवा आ जाए मुझे इश्क की कैद से निजात मिल जाए आलम यह है कि या तो तू मिल जाए या मुझे मेरा दिल वापस मिल जाए ©Er.Amit Kumar #इश्क़ से निजात