प्रतिवर्ष ये मास हर बार मुझे चोटिल करता है, कल भूल गया था मई है ये, मेरे कोपवास के ३१ दिन हैं, क्यों निकला कल घर से मैं, कैसे भी हो कुछ भी हो, कड़वी यादें ही जुड़ती हैं, फेहरिस्त बड़ी ही लंबी है, जन्म से रोता प्रतिवर्ष हूँ मैं...✍️ #प्रतिवर्ष #जन्मदिन #१०मई #अपराध #पाप #अक्षम्य #क्षुब्ध