“आवाज़” A soul conversation, मन की आवाज़ दरिया नहीं हुँ समंदर हूँ में मंज़र नही हुँ शहर हूँ में कहाँ से मुझे बेदख़ल करेगा बाहर भी में हूँ अन्दर हूँ में आज़मा मुझे फिर बेच ख़ुद को तेरी मेहनत तेरी क़िस्मत हूँ में! साँस खोने से क्या जायेगा जो तुझे लिख दे वो क़लम हूँ में! तस्वीर का लिफ़ावा , वो दिखावा मोम के सच से बेहतर हुँ में जहाँ की चकाचोंध का अंधा तु इस डूबते अंधेरे की नज़र हूँ में! रज़ामंद होने दे सारे शहर को तेरे झूठे सहारों से निडर हूँ में! तु ना जाने क्या क्या देख आया तुझे जबसे मिला ऐक डगर हूँ में! साज़ के धागे से बांधा नही हूँ, तेरे सिवा किसी का कांधा नही हूँ लिख कर छोड़ आया पूरा मुझे बस ऐक नज़्म बाक़ी है अधूरा नही हूँ! अमानत नहीं हूँ ख़रीदा नहीं हूँ सजाया नही हूँ संजीदा नही हूँ तोहफ़ा किसी का वज़ीफ़ा नही हूँ बहला दे भरमा दे वो तरीक़ा नही हुँ! तेरे मन में जगा प्रयास हूँ में जो गिरा नहीं वो विश्वास हुँ में जो तूने लिखा वो उपन्यास हूँ में तेरी ढूँढ से बना इतिहास हूँ में! तनहाइयो की सिसकियो का हिसाब हूँ में तेरी पल भर की हँसी का जवाब हूँ में! किसी के होने के भ्रम में जिसे तूने ठुकरा दिया वो दूर तक कराहती आवाज़ हुँ मैं तेरे मन की आवाज़ हूँ में sandeep ajanavii man ki awaaz