दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं ©Lucky Boy log badalte Hain #safar #Shayari #ghazal #Poetry #luckyboy