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दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों

दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं

हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं
इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं

ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं

हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं

©Lucky Boy log badalte Hain

#safar #Shayari  #ghazal  #Poetry  #luckyboy
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं

हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं
इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं

ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं

हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं

©Lucky Boy log badalte Hain

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luckyboy4059

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