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ना दवा से काम चलें, ना दुआ का होता हैं असर कैसी लत

ना दवा से काम चलें, ना दुआ का होता हैं असर
कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

और आप कहते हो बार बार, मेरी बात पे ग़ौर करो
बगावत पे उतरा है दिल, और  छूटे हैं पसीने इधर।

भूचाल बातों का मन में, बेइमान ज़बान खामोश है
बस एक इशारा तुम से और, हद से हम जाएंगे गुज़र।

घर तो नहीं है मेरा यहां, ना कुछ करोबार चल रहा है
छोड़े से भी ना छोड़ा जाएं, कम्ब्खत हमसे तुम्हरा शहर।

वो तेरी गली के कई बुजुर्ग, थोड़े ना हमारे दोस्त हैं
ताल्लुक जारी है इसलिए, की हो तेरी गली का सफर।

तेरे मोहल्ले में सोचता हूं, लगा दूं चाय-काॅफी की दुकान
बस चाय से तुझे इश्क है, और हमें चाहिए तेरी नज़र।

कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

A.Ruhan #ghazal #aRuhan
ना दवा से काम चलें, ना दुआ का होता हैं असर
कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

और आप कहते हो बार बार, मेरी बात पे ग़ौर करो
बगावत पे उतरा है दिल, और  छूटे हैं पसीने इधर।

भूचाल बातों का मन में, बेइमान ज़बान खामोश है
बस एक इशारा तुम से और, हद से हम जाएंगे गुज़र।

घर तो नहीं है मेरा यहां, ना कुछ करोबार चल रहा है
छोड़े से भी ना छोड़ा जाएं, कम्ब्खत हमसे तुम्हरा शहर।

वो तेरी गली के कई बुजुर्ग, थोड़े ना हमारे दोस्त हैं
ताल्लुक जारी है इसलिए, की हो तेरी गली का सफर।

तेरे मोहल्ले में सोचता हूं, लगा दूं चाय-काॅफी की दुकान
बस चाय से तुझे इश्क है, और हमें चाहिए तेरी नज़र।

कैसी लत लगीं तुम्हारी, चेहरे से हटती नहीं नज़र।

A.Ruhan #ghazal #aRuhan
anandlade6181

A. Ruhan

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