बेइंतहा इश्क़ करने लगे हैं उनसे इक पल मिलना हमसे जिसे गवारा नहीं मै तुझसे , थोड़ा - सा नहीं ... बेइंतिहा प्यार करती हूं ... तेरी इज्ज़त के खातिर ... मै , अपने शब्दों को नीलाम ... करती हूं! महफ़िल में होती है , जब तेरे ख़िलाफ़ बातें तब मै , तेरी तारीफ़ ... सरेआम करती हूं!