Don beti ka पत्र मेरे पिताजी , मेरे डॉन बापू हे कगार के वृक्ष, आप कितने महान हो, कितनी भी आंधी आए चाहे जितनी बरसात हो, चाहे बर्फ बारी हो या भूकम्प आए चाहे पतझर का मौसम हो या बहार तुम वैसे ही खड़े रहते हो जैसे हिमालय पर कगार का वृक्ष। कितना मुश्किल होता होगा न जब हम सब आपके किये गए निश्चल प्रेम में कोई कमी निकालते होंगे ,जब हम ये कहते हैं आपने हमारे लिए किया ही क्या कितनी पीड़ा होती होगी न। किन्तु आज समझ में आ रहा है आप हमारे लिए क्या किए हैं, या क्या कर रहे हैं । आज हम ये सोचने पर मजबूर हैं कि यदि आपकी जगह पर हम लोग होते तो क्या इतना कुछ कर पाते । हम लोग को बुखार भी हो जाए तो लगता है मानों पहाड़ टूट पड़ा हो ,और आप इतने सालों से डिप्रेशन की गोलियों के बीच भी हम सब से मुस्कुरा के बोलते हैं कभी- कभी चिढ़ाते भी हैं। जब आप हमारे साथ मुस्कुराते हैं तो हम सब अपने दायरों को कितनी आसानी से भूल जाते हैं ,और कुछ भी बोल जाते हैं, कितना आसान होता है न ये सब। किन्तु हे कगार के वृक्ष आज आपकी उदासी हमें मायूस कर रही है इसलिए की आपके चेहरे की इस उदासी का कारण हम बेटियां हैं।आज मुझे ये लगता है जैसे हम दोनों बहने आपकी अपराधिनी हैं,क्युकी मैं हमेशा आपको सिर उठा कर चलते देखी हूं।हमेशा आपके सामने बड़े से बड़े लोगों को सिर झुकाते देखी हूं । हे मेरे कगार के वृक्ष आज भी मैं यही चाहती हूं कि आप सदा कगार के वृक्ष ही रहें कभी भी आपको झुकना न पड़े, मेरे लिए सदा मेरे डॉन रहें।। #yqकुलभूषण #yqस्नेहदीप #yqdidi #yqbaba #yqaestheticthoughts #yqquotes #yqhindi #YourQuoteAndMine Collaborating with Ritamvada vatsa