शायद तुम वो व्यक्ति नहीं थे, जिसके खातिर ये मसला है, "जोड़े ऊपर से बनते हैं"।। तुम साथी थे साथ चले तुम थोड़ी दूर सही ही लेकिन, पूरे मन से हाथ पकड़कर, दुनिया के तानो से बढ़कर, मुझसे करते बात चले तुम, लेकिन तुम वो बन न पाए, जिसके खातिर माँ कहती है "जोड़े ऊपर से बनते है"।। जिसका प्रेम सफल होता है, वे इतिहास नही बनते है, विफल प्रेम के दोनों मुखड़े मसले का मुखड़ा बनते है, लेकिन अपना विफल प्रेम तो वो मसला भी बन न पाया, जो भी मसला ये कहता है "जोड़े ऊपर से बनते हैं"।। तुम शायद वो व्यक्ति नही थे जिसके खातिर ये मसला है "जोड़े ऊपर से बनते है"। © ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह।। #nojoto #nojo #quotes #poetry #poet