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कहीं जिंदगी को जीना है 'मुसाफिर' कहीं जिंदगी का रू

कहीं जिंदगी को जीना है 'मुसाफिर'
कहीं जिंदगी का रूठना है
कितनों ने खोया अपनों को
कितनों ने अपनाया परायों को
दर्द अपनों को खोने का भी था
दर्द परायों को खोने का भी था
कुछ अपने पराये हो गए 
कुछ पराये अपने भी हो गए
कुछ को अपनापन भी था, 
कुछ को पराया ही होना था
अब इस अपने पराए के चक्कर में जिन्दगी गुजार ली 'मुसाफिर'
अब इस भूल भुलैया में मकसद ए जिंदगी भुला ली
अब मसलों में ये कोई मसला नहीं
पुराने किस्सों का कोई किस्सा नहीं, 


वैसे तो यादों का सुकून है
बस गम इस बात का है, 
जीने की वजह थी कोई
और वेवजह  सी गुजर गयी
कहीं जिंदगी को जीना है 'मुसाफिर'
कहीं जिंदगी का रूठना है
कितनों ने खोया अपनों को
कितनों ने अपनाया परायों को
दर्द अपनों को खोने का भी था
दर्द परायों को खोने का भी था
कुछ अपने पराये हो गए 
कुछ पराये अपने भी हो गए
कुछ को अपनापन भी था, 
कुछ को पराया ही होना था
अब इस अपने पराए के चक्कर में जिन्दगी गुजार ली 'मुसाफिर'
अब इस भूल भुलैया में मकसद ए जिंदगी भुला ली
अब मसलों में ये कोई मसला नहीं
पुराने किस्सों का कोई किस्सा नहीं, 


वैसे तो यादों का सुकून है
बस गम इस बात का है, 
जीने की वजह थी कोई
और वेवजह  सी गुजर गयी