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चलो आज सूकून से कूछ बातें करते है, यूहीं बस होंठों

चलो आज सूकून से कूछ बातें करते है,
यूहीं बस होंठों से नहीं रुह से भी कूछ मूलाकातें करते हैं।
हां,मालूम तो मूझे भी नहीं कि कहना क्या है,
बस मूझे इतना बता दो कि कब और सहना क्या है।
क्यों छूठी दिलासा देते हो कि "हर वक़्त साथ है हम तेरे",
क्यों हर पल तोड़ देते हो शिशों सा हर जज्बात मेरे।  
 यार  बिखर चूका हूं मैं भी अब और मत आज़मांओं, 
हां,जानता हूं सांसे तुम्हारी भी अधूरी है अब ये और मत समझाओं।
कहते हो कि रुह-रुह से तक्ल्लूफ हो मेरे
तो क्यों इतना तड़पाते हो,
क्या सच में मेरी मोहब्बत पर ऐतबार नहीं तूमको?
जो हर रोज बखूबी आज़माते हो।
ऐ दोस्त,मैं यूहीं बिखर गया हूं तूझमें अब और क्यों तोड़ना चाहते हो,
बस तूम ही तो एक वज़ह हो मेरे मुस्कूराहट‌ कि उसे भी क्यों छिन लिए जाते हो।
माना मेरी वो अह़मीयत नहीं तूम्हारी जिंदगी में 
जो कि मैं हर वक़्त समझता हूं,
लेकिन क्या तूम वाकि़फ हो इस हकिकत से कि हर वक़्त मैं तूम पर ही क्यों ठहरता हूं।
हां, सच कहते हो क्या इतना मशगूल हो गया मैं तूम में कि अश्कों से आंसू फिसल गया?
हकिकत तो ये भी है जनाब कि बिना तुम्हारी तस्वीर देखें अब हर पल जीना मुहाल हो गया।
खैर समझ गया कि काफी अलग हूं मैं इस दुनिया से,
अब यूंही मूझे संभलने दो,
अब बस यही ठहर जाने दो, मूझे अकेला ही कही रहने दो।
 #अकेला ही कही रहने दो। #soulwords #mindshot #writeupfortoday #yqhindi #yqbaba #yqdada #yqdidi
चलो आज सूकून से कूछ बातें करते है,
यूहीं बस होंठों से नहीं रुह से भी कूछ मूलाकातें करते हैं।
हां,मालूम तो मूझे भी नहीं कि कहना क्या है,
बस मूझे इतना बता दो कि कब और सहना क्या है।
क्यों छूठी दिलासा देते हो कि "हर वक़्त साथ है हम तेरे",
क्यों हर पल तोड़ देते हो शिशों सा हर जज्बात मेरे।  
 यार  बिखर चूका हूं मैं भी अब और मत आज़मांओं, 
हां,जानता हूं सांसे तुम्हारी भी अधूरी है अब ये और मत समझाओं।
कहते हो कि रुह-रुह से तक्ल्लूफ हो मेरे
तो क्यों इतना तड़पाते हो,
क्या सच में मेरी मोहब्बत पर ऐतबार नहीं तूमको?
जो हर रोज बखूबी आज़माते हो।
ऐ दोस्त,मैं यूहीं बिखर गया हूं तूझमें अब और क्यों तोड़ना चाहते हो,
बस तूम ही तो एक वज़ह हो मेरे मुस्कूराहट‌ कि उसे भी क्यों छिन लिए जाते हो।
माना मेरी वो अह़मीयत नहीं तूम्हारी जिंदगी में 
जो कि मैं हर वक़्त समझता हूं,
लेकिन क्या तूम वाकि़फ हो इस हकिकत से कि हर वक़्त मैं तूम पर ही क्यों ठहरता हूं।
हां, सच कहते हो क्या इतना मशगूल हो गया मैं तूम में कि अश्कों से आंसू फिसल गया?
हकिकत तो ये भी है जनाब कि बिना तुम्हारी तस्वीर देखें अब हर पल जीना मुहाल हो गया।
खैर समझ गया कि काफी अलग हूं मैं इस दुनिया से,
अब यूंही मूझे संभलने दो,
अब बस यही ठहर जाने दो, मूझे अकेला ही कही रहने दो।
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