झुकीं-झुकीं सी नज़र कमाल कर रही थी बात थी सिर्फ चाँदनी की, वो चाँद से भी जल रही थी बना कर रहगुज़र फूलों की किसी के लिए वो पागल काँटों पर चल रही थी याद कर महबूब का वह आलिंगन वह ख़्वाबों-सी ख़्वाबों में मचल रही थी पिया से मिलने को बेचैन वह रातों में उठ-उठकर करवट बदल रही थी अल्हड़ थी बचपन से वह, मानो किसी के इश्क़ में वह सँभल रही थी सोने की चिड़िया, सोने का पिंजरा चिड़िया तो उड़ गई, वह पिंजरे बदल रही थी देख कर मुझको गली में छत से ‘सुब्रत’ वह दुपट्टा सँभाले घर से निकल रही थी.... ©Anuj Subrat झुकीं झुकीं सी नज़र कमाल कर रही थी....~©Anuj Subrat ( Author of "Teri gali mein) #jhuki_jhuki_si_nazar #kamaal #rakhguzar #jal #karvat #Dupatta #Anuj_Subrat #Machal #chaandni #ColdMoon