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कभी बेचैनी,कभी सुकून देते हो मेरे किसी गुनाह के हि

कभी बेचैनी,कभी सुकून देते हो
मेरे किसी गुनाह के हिस्सेदार हो क्या

देखकर तुम्हें दिल क्यूं फिसलता है
तुम बारिश की पहली फुहार हो क्या...  ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
कभी बेचैनी,कभी सुकून देते हो
मेरे किसी गुनाह के हिस्सेदार हो क्या

देखकर तुम्हें दिल क्यूं फिसलता है
तुम बारिश की पहली फुहार हो क्या...  ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

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