तन्हाइयों में बीत गयी ज़िंदगी .. किसी को पता चला भी नहीं !! ऐसी दास्ताँ है ग़म-ए-हस्ती की .. किसी ने पढ़ा न सुना हो कहीं !! ©Arshu.... तन्हाइयों में बीत गयी ज़िंदगी .. किसी को पता चला भी नहीं !! ऐसी दास्ताँ है ग़म-ए-हस्ती की .. किसी ने पढ़ा न सुना हो कहीं !! FAKIR SAAB(ek fakir)