नेताओं की नेतागिरी, भाषाओं का दुष्प्रयोग | अमृत का दे लालच, पिला दिया हलाहल | झूठ की खड़ी कर इमारत, छिपाये सच का लगा प्लास्टर | बंगला भर गया गोदाम भर गया, पेट कभी न इनका भर पाया | घोटालों पर घोटाले कर, हो जाते ये छूमंतर | चुनाव समय आ जाने पर, खड़े हों ये हाथ जोड़कर | नये नये वादों का पर्चा, साथ मे जनता पर जेब का खर्चा | जितना खर्च करेंगे, कई गुना उसका लूटेंगे | फिर से चुने गये, या फिर आये कोई नये | सबकी यही रीति, जेब के आगे कोई नही नीति | जनता हो गई इनसे त्रस्त, ये अपनी मस्ती मे मस्त | फिर भी कहते लोग लोगान, अपना भारत देश महान | ©Anupam Singh #नेतागिरी