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जन्मदिन मुबारक हो पता हैं आज का दिन मे कभी भुल नही

जन्मदिन मुबारक हो पता हैं आज का दिन मे कभी भुल नही पाता,ना ही कभी भूल पाऊँगा । आज 30 जुलाई हैं ना, जन्मदिन जो हैं तुम्हारा। क्या हुआ गर आज तुम जो मेरे साथ नही। पर तारीख तो वही हैं, ना।
मैं अकेला ही इसे मना लेता हूं। तुम तो व्यस्त हो गई हो अपनी नई जिन्दगी मे। शायद मैं तो अब तुम्हे याद भी नही हूँ । और आखिर तुम क्यो याद रखने लगी मुझे। तुम तो कहकर गई थी, तुम मर भी जाओ तो मुझे फ़र्क नही पड़ता । पर मैं कम्बखत जी रहा हूँ आज भी। हां वो बात अलग हैं, की रोज थोड़ा थोड़ा मर रहा हूं।
पर पता नही क्यो आज भी तुम्हे भूला नही पा रहा। आज भी तुम्हारे लिये कोई बुरा कहदे तो उससे लड़ लेता हूं मैं। पर तुम्हे खुद मे से मिटा नही पा रहा। चाहे जो भी रहा हो हमारे दरमियां, सच या झुठ, पर मैने तुमसे कहाँ था ना, मैं अपनी दुनिया मान बैठा हूँ तुम्हे, अब तुम्ही मेरी सबकुछ हो। मेरा आज भी मेरा कल भी।
पर ना तुम कल वाला आज हो पाई ना आज वाला कल। तुम्हारी सभी बातें झूठी निकली। और वक मैं नादान उन्ही झूठी बातों मे सच के सपनो का महल ढुँढता रहा। और आज भी वही कर रहा हूं। नही भुला पा रहा हूं तुम्हे। मैं खत्म होता जा रहा हूं, धीरे-धीरे पर तुम्हारा मुकाम आज भी दिल मे वही हैं जो उस वक्त था। जब मैं और तुम , हम हुआ करते थे।
पता हैं आजकल मैं, सबसे यहीं कहता हूं, कभी किसी से प्यार मत करना, यह प्यार रुलाता बहुत हैं। पर खुदको आज तक इतना नही समझा पा रहा हूं, की वो जा चुकी हैं तेरी जिन्दगी से, भूल क्यो नही जाता उसे। 
मेरी जिन्दगी मे शायद तुम हमेशा वही नाम, वही किस्सा बनकर रह गई हो जिसे मैं ना तो भुला सकता हूं, ना ही मिटा सकता हूं। जिसे याद करना चाहता नही, फ़िर भी हर बार याद कर ही लेता हूं। पता नही मैने क्यो तुम्हे इतना चाहा, की अब खुद की ही चाहत नही रही मुझे।
और इस प्यार ने तो प्यार करने की क्या खूब सजा दी हैं मुझे, की अब किसी और सजा से डर ही नही लगता।
खैर छोडो, तुम्हे इन सब से क्या। तुम्हे तो पहले भी मेरे होने ना होने का अफसोस नही था, तो अब तुमसे कैसी उम्मीद लगाना।
जन्मदिन मुबारक हो पता हैं आज का दिन मे कभी भुल नही पाता,ना ही कभी भूल पाऊँगा । आज 30 जुलाई हैं ना, जन्मदिन जो हैं तुम्हारा। क्या हुआ गर आज तुम जो मेरे साथ नही। पर तारीख तो वही हैं, ना।
मैं अकेला ही इसे मना लेता हूं। तुम तो व्यस्त हो गई हो अपनी नई जिन्दगी मे। शायद मैं तो अब तुम्हे याद भी नही हूँ । और आखिर तुम क्यो याद रखने लगी मुझे। तुम तो कहकर गई थी, तुम मर भी जाओ तो मुझे फ़र्क नही पड़ता । पर मैं कम्बखत जी रहा हूँ आज भी। हां वो बात अलग हैं, की रोज थोड़ा थोड़ा मर रहा हूं।
पर पता नही क्यो आज भी तुम्हे भूला नही पा रहा। आज भी तुम्हारे लिये कोई बुरा कहदे तो उससे लड़ लेता हूं मैं। पर तुम्हे खुद मे से मिटा नही पा रहा। चाहे जो भी रहा हो हमारे दरमियां, सच या झुठ, पर मैने तुमसे कहाँ था ना, मैं अपनी दुनिया मान बैठा हूँ तुम्हे, अब तुम्ही मेरी सबकुछ हो। मेरा आज भी मेरा कल भी।
पर ना तुम कल वाला आज हो पाई ना आज वाला कल। तुम्हारी सभी बातें झूठी निकली। और वक मैं नादान उन्ही झूठी बातों मे सच के सपनो का महल ढुँढता रहा। और आज भी वही कर रहा हूं। नही भुला पा रहा हूं तुम्हे। मैं खत्म होता जा रहा हूं, धीरे-धीरे पर तुम्हारा मुकाम आज भी दिल मे वही हैं जो उस वक्त था। जब मैं और तुम , हम हुआ करते थे।
पता हैं आजकल मैं, सबसे यहीं कहता हूं, कभी किसी से प्यार मत करना, यह प्यार रुलाता बहुत हैं। पर खुदको आज तक इतना नही समझा पा रहा हूं, की वो जा चुकी हैं तेरी जिन्दगी से, भूल क्यो नही जाता उसे। 
मेरी जिन्दगी मे शायद तुम हमेशा वही नाम, वही किस्सा बनकर रह गई हो जिसे मैं ना तो भुला सकता हूं, ना ही मिटा सकता हूं। जिसे याद करना चाहता नही, फ़िर भी हर बार याद कर ही लेता हूं। पता नही मैने क्यो तुम्हे इतना चाहा, की अब खुद की ही चाहत नही रही मुझे।
और इस प्यार ने तो प्यार करने की क्या खूब सजा दी हैं मुझे, की अब किसी और सजा से डर ही नही लगता।
खैर छोडो, तुम्हे इन सब से क्या। तुम्हे तो पहले भी मेरे होने ना होने का अफसोस नही था, तो अब तुमसे कैसी उम्मीद लगाना।