चंद शब्द मा के लिए... क्यों बेटियां पराई होती है ,,,, यह कैसी विडंबना है,,, मैं उस सदी में पैदा हुआ जहाँ यह सुनकर मुझे तकलीफ होती है बेटियां पराई होती है,,,, वो मेरी माँ ही है जो कभी बेटी पराई बनकर इस घर पर आई थी आज जिस कलम से मुझे लिखने का सौभाग्य मिला है उसकी वजह भी मेरी माँ है। मैं कैसे मान लू कोई नारी पराई हो सकती है मैं कैसे मान लू मेरी माँ कभी पराई बनकर मेरे पिता जी के घर पर आई थी। अरे इस कलमकार के कोरे जीवन को रंगने वाली भी तो मेरी माँ है,,मेरा मुख इतना पवित्र नही हो सकेगा की मैं कहूं इस मुख से की बेटी पराई होती है। बेटियां जब पैदा होती है लोग नसीहत देते है यह तो कोमल कमल फूल है जो इस तने में किसी टहनी के रूप में नही रह सकती इसको तो अंत में आखिर किसी मूर्ति पर चढ़ ही जाना होता है। बेटियाँ जब अपने घर होती है कहते है कुछ न कहो बेटी है पराई धन है कुछ दिनों की मेहमान है चली जाएगी, ससुराल में सासुराली कहते है कुछ न कहो पराई है "पर" घर से आई है। ना माइका बेटी का ना ससुराल बेटी का तो बेटी जाये कहाँ। अरे फली फूली टहनियां तनो से जुड़ी होती है, बेटियां जहाँ भी रहे माँ बाप से जुड़ी होती है,,,, बेटियां तो माँ बाप के अंतस के पास होती है अरे बेटी सात समुंदर पार भी खाँस दे तो माँ को अहसास होती है। अरे वो तो हूरों की भी हूर है वो कोई और नही मेरी जन्नत की नूर है। नमन मेरी मा को जन्म देने वाली उस माँ का जिनके छाया तले मुझे मेरी माँ के चरणों में श्रद्धा पुष्प चरणों में अर्पित करने का भाग्य मिला है,,,, नमन,,,, मेरी माँ मेरी माँ.... ✍️✍️✍️ अंशु यादव मेरी माँ मेरी माँ...😊