एक सपना जो टूट गया था मेरा दिल तोड के । अब तक वही रुका हूँ अपनी आस जोड़ के । उन यादों मे कुछ इस तरह खो जाता हूँ । जिस सपने के लीए कुछ ना कर सका उसे याद करके रो जाता हूँ ।। नींद नही आती हें रातों मे पर , उस सपने के लीए सो जाता हूँ । :-दुष्यंत भदौरिया 😔😖😖