बदलते रंगों ने बदल दी ज़िन्दगी की 'तस्वीरें' यूँ कुछ गलतियों ने आज बदल दी है 'तक़दीरे' यूँ ख़्वाहिश 'आसमा' को पाने की ना थी कभी यूँ ज़मीन सा था इश्क़ वो भी दूर हो गया अभी यूँ बग़ावत नहीं थी चल रहे थे हम तेरी बातों में यूँ राहें ज़िन्दगी में ये कदम लड़खड़ाने लगे बस यूँ कुछ ख़याल तेरा, व देह की जननी का आया यूँ अपनी उलझनों में फ़िर से उलझकर आया मैं यूँ ♥️ Challenge-704 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।