Nojoto: Largest Storytelling Platform

बेटी थी, बेटी हूँ और बेटी रहूँगी यहाँ हर किसी की

बेटी थी, बेटी हूँ और बेटी रहूँगी 
यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी.? 
पहले ♂️पैदा होने ♂️के लिए मरुँ 
फिर दुनिया देखने के लिए मरुँ 
और फिर पैदा {♉️♉️♉️}हो के दुनिया में 
अपने हिंसाब से जीने के लिए मरूँ 
अपनी वज़ूद के लिए, 
इस दुनिया से अब मैं लड़ूँगी |
यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी..? 
कुछ बछर बीते, 
बन गयी मेरी विवाह की फीते 
मैं ख़ंजर घोप दूँ ऐसे लोगों पे 
जिसने अतीत में बनाई है ये जो रीते 
दुलहन बनेंगे समय आने पे, अभी तो मैं ख़ूब पढूँगी !
नारी की सम्मान, अधिकार किस पद को देता है ये ज़माना 
उस हर पद पे अपनी आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से चढूँगी 
हर मुश्किलों से लड़ूँगी, ख़ुद की मुक़ाम एक गढ़ूँगी | 
यहाँ हर किसी की क़यामत अब मैं क्यों सहूँगी...?? 
तुम औरत हो सर में पल्लू डालकर चला कर 
बाहर क्या नौकरी करेगी..? बस घर में ही पला कर 
क्या अपनी पत्नी की कमाई खाऊँ, 
या फिर लोगों की बाते सुनूँ.. 
तो मत सुन...वैसे भी ये घर नहीं जेलखाना है 
और कैदी की भला कँहा सुनता ये ज़माना है 
मुझे न पति ने समझा,और परिवार तो बेगाना है 
बस उसके नियम में अपनी ज़िंदगी 
भजीये की तरह तलते जाना है 
अब जो नारी की उपेक्षा करें, उसे ही गर्म तेल से तलुंगी | 
यहाँ हर किसी की क़यामत अब मैं क्यों सहूँगी..??? 🌺बेटी थी, बेटी हूँ और बेटी रहूँगी 
🌺यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी...? 🤕🤕🤕
पहले ♂️पैदा होने ♂️के लिए मरुँ 
फिर दुनिया देखने के लिए मरुँ 
और फिर पैदा {♉️♉️♉️}हो के दुनिया में 
अपने हिंसाब से जीने के लिए मरूँ 
अपनी वज़ूद के लिए, 
इस दुनिया से अब मैं लड़ूँगी |
बेटी थी, बेटी हूँ और बेटी रहूँगी 
यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी.? 
पहले ♂️पैदा होने ♂️के लिए मरुँ 
फिर दुनिया देखने के लिए मरुँ 
और फिर पैदा {♉️♉️♉️}हो के दुनिया में 
अपने हिंसाब से जीने के लिए मरूँ 
अपनी वज़ूद के लिए, 
इस दुनिया से अब मैं लड़ूँगी |
यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी..? 
कुछ बछर बीते, 
बन गयी मेरी विवाह की फीते 
मैं ख़ंजर घोप दूँ ऐसे लोगों पे 
जिसने अतीत में बनाई है ये जो रीते 
दुलहन बनेंगे समय आने पे, अभी तो मैं ख़ूब पढूँगी !
नारी की सम्मान, अधिकार किस पद को देता है ये ज़माना 
उस हर पद पे अपनी आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से चढूँगी 
हर मुश्किलों से लड़ूँगी, ख़ुद की मुक़ाम एक गढ़ूँगी | 
यहाँ हर किसी की क़यामत अब मैं क्यों सहूँगी...?? 
तुम औरत हो सर में पल्लू डालकर चला कर 
बाहर क्या नौकरी करेगी..? बस घर में ही पला कर 
क्या अपनी पत्नी की कमाई खाऊँ, 
या फिर लोगों की बाते सुनूँ.. 
तो मत सुन...वैसे भी ये घर नहीं जेलखाना है 
और कैदी की भला कँहा सुनता ये ज़माना है 
मुझे न पति ने समझा,और परिवार तो बेगाना है 
बस उसके नियम में अपनी ज़िंदगी 
भजीये की तरह तलते जाना है 
अब जो नारी की उपेक्षा करें, उसे ही गर्म तेल से तलुंगी | 
यहाँ हर किसी की क़यामत अब मैं क्यों सहूँगी..??? 🌺बेटी थी, बेटी हूँ और बेटी रहूँगी 
🌺यहाँ हर किसी की क़यामत मैं क्यों सहूँगी...? 🤕🤕🤕
पहले ♂️पैदा होने ♂️के लिए मरुँ 
फिर दुनिया देखने के लिए मरुँ 
और फिर पैदा {♉️♉️♉️}हो के दुनिया में 
अपने हिंसाब से जीने के लिए मरूँ 
अपनी वज़ूद के लिए, 
इस दुनिया से अब मैं लड़ूँगी |