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सर्दी अब तो बेदर्दी बन गयी तुम जो रूठे खुद को मैं

सर्दी अब तो बेदर्दी बन गयी
तुम जो रूठे खुद को मैं भूल गयी,
पहले जानकर रुमाल नहीं रखती थी,
अब याद आकर भी रुमाल नहीं रखती

( पूरी कविता caption में पढ़ें) 
सर्दी अब तो बेदर्दी बन गयी
तुम जो रूठे खुद को मैं भूल गयी,
पहले जानकर रुमाल नहीं रखती थी,
अब याद आकर भी रुमाल नहीं रखती

वो डाँट में छुपा प्यार दिखाना
मेरी हिफाज़त करना और
सर्दी अब तो बेदर्दी बन गयी
तुम जो रूठे खुद को मैं भूल गयी,
पहले जानकर रुमाल नहीं रखती थी,
अब याद आकर भी रुमाल नहीं रखती

( पूरी कविता caption में पढ़ें) 
सर्दी अब तो बेदर्दी बन गयी
तुम जो रूठे खुद को मैं भूल गयी,
पहले जानकर रुमाल नहीं रखती थी,
अब याद आकर भी रुमाल नहीं रखती

वो डाँट में छुपा प्यार दिखाना
मेरी हिफाज़त करना और