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जो कह दू तो गजल हो तुम चलू तो राह हो तुम पा लूं

जो कह दू तो गजल हो तुम 
चलू तो राह हो तुम 
पा लूं तो मंजर हो तुम 
सच कहूं तो प्रीत  हो तुम


जो पी लूं तो चाय हो तुम 
जो गा लू तो गीत हो तुम 
जो लिख दूं तो कविता हो तुम 
सच कहूं तो मुहब्बत हो तुम

जो देखूं तो एक हसीन ख्वाब हो तुम
जो महसूस करूं तो एक अपनेपन का एहसास हो तुम
जो दीदार करूं तो ईद का चांद हो तुम
जो इबादत करूं तो आखिरी दुआ हो तुम

 
किताब में संजोया वो फूल हो तुम 
पढ़ लू तो पन्ना हो तुम 
भाप लू तो सांस हो तुम
सच कहूं चाह हो तुम 

जो बहा दू तो लफ्ज़ हो तुम 
जो पी लूं तो अश्क हो तुम 
जो लिख दू तो अलफाज हो तुम 
सच कहूं तो प्रीत हो तुम 
मेरी कायनात हो तुम 
गहरे नशे की शराब हो तुम 
और जो न चाहते हुए भी लग गई वो आदत हो तुम 
चाह , प्रीत , प्यार ,मुहब्बत सब छोड़ दो तो इश्क हो तुम ।

©Dr Nirmal Meena #Apocalypse