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*( मेरी नई रचना "*रक्षक*" *सभी सच्चे सेवको को सादर

*( मेरी नई रचना "*रक्षक*" *सभी सच्चे सेवको को सादर समर्पित है, जो कि कोरोना की जंग में दिल जान से लगे हुए है।*

जिंदगी की जद्दोजहद में,
सेवाभाव से लगे,
मैं हर उस रक्षक व सेवक को  सलाम करता हूँ।
आज की मेरी कविता, 
सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

जो रक्षक है, वो राष्ट्र की रक्षा ही करेगा। 
कर्तव्य पथ पर निश्चल,अटल, संग्राम वह लड़ेगा। 
जान की बाजी लिए हाथ, 
मेडिकल स्टाप हँसकर लड़ता है।
चाहे पुलिस प्रशासन, चिकित्सकीय स्टाफ,
या सेना का जवान हो,     
मौत से  नही डरता है।     

नर्स हो, डाक्टर हो ,पुलिस,और पत्रकार,
जान हथेली पर धरता है।
स्वयं सेवक हो व सफाईकर्मी, 
डटकर मुसीबतों से लड़ता है।
मैदान ए जंग कोरोना में लगे,
              हर  सच्चे सेवक का,                          
मैं दिल से सम्मान करता हु।  
आज की मेरी कविता, 
मेरे सभी रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

घर से निकलकर, छोड़कर,
समाज व परिवार को,
राष्ट्रभक्ति का जज्बा हो, 
और जीत का हो हौंसला,        
हरकदम, वो अविराम, निरंतर  दौड़ता,
ऐसे कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ,
देशभक्त, सेवक का ऋणी होकर,
मैं दिल से सलाम करता हु। 
आज की मेरी कविता, 
मेरे सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

*कवि एवम लेखक*
*मुकेश कुमार व्यास* *"स्नेहिल"*
अहमदाबाद, गाँधीनगर गुजरात
91+ 9374569132
       9429451232
*कॉपीराइट* #रक्षक
*( मेरी नई रचना "*रक्षक*" *सभी सच्चे सेवको को सादर समर्पित है, जो कि कोरोना की जंग में दिल जान से लगे हुए है।*

जिंदगी की जद्दोजहद में,
सेवाभाव से लगे,
मैं हर उस रक्षक व सेवक को  सलाम करता हूँ।
आज की मेरी कविता, 
सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

जो रक्षक है, वो राष्ट्र की रक्षा ही करेगा। 
कर्तव्य पथ पर निश्चल,अटल, संग्राम वह लड़ेगा। 
जान की बाजी लिए हाथ, 
मेडिकल स्टाप हँसकर लड़ता है।
चाहे पुलिस प्रशासन, चिकित्सकीय स्टाफ,
या सेना का जवान हो,     
मौत से  नही डरता है।     

नर्स हो, डाक्टर हो ,पुलिस,और पत्रकार,
जान हथेली पर धरता है।
स्वयं सेवक हो व सफाईकर्मी, 
डटकर मुसीबतों से लड़ता है।
मैदान ए जंग कोरोना में लगे,
              हर  सच्चे सेवक का,                          
मैं दिल से सम्मान करता हु।  
आज की मेरी कविता, 
मेरे सभी रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

घर से निकलकर, छोड़कर,
समाज व परिवार को,
राष्ट्रभक्ति का जज्बा हो, 
और जीत का हो हौंसला,        
हरकदम, वो अविराम, निरंतर  दौड़ता,
ऐसे कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ,
देशभक्त, सेवक का ऋणी होकर,
मैं दिल से सलाम करता हु। 
आज की मेरी कविता, 
मेरे सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ।

*कवि एवम लेखक*
*मुकेश कुमार व्यास* *"स्नेहिल"*
अहमदाबाद, गाँधीनगर गुजरात
91+ 9374569132
       9429451232
*कॉपीराइट* #रक्षक