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आईगी क्या फिर वो सुबह लेके खुशियों की चाह फिर वही

आईगी क्या फिर वो सुबह
लेके खुशियों की चाह
फिर वही दफ्तर की मुश्किलों की राह
फिर सुबह से लेके शाम तक थकने वाली दाह
सुबह सुबह फिर से एक चाय की प्याली
परांठों और माखन से भरी थाली
साथ में दिन के लिए टिफिन
ना जाने कब वापस आएंगे ऑफिस के वो दिन #सुबह #चाय #नाश्ता #ऑफिस #परांठे 

एक सुबह
आईगी क्या फिर वो सुबह
लेके खुशियों की चाह
फिर वही दफ्तर की मुश्किलों की राह
फिर सुबह से लेके शाम तक थकने वाली दाह
सुबह सुबह फिर से एक चाय की प्याली
परांठों और माखन से भरी थाली
साथ में दिन के लिए टिफिन
ना जाने कब वापस आएंगे ऑफिस के वो दिन #सुबह #चाय #नाश्ता #ऑफिस #परांठे 

एक सुबह