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नदी """""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

नदी

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा है ,
हर्षित हैं सर्व प्राणी वहाँ,
जहाँ-जहाँ तूने पाँव पसारा है ।।
रोम- रोम धरा का पुलकित ,
प्राणी मिटाते प्यास जहाँ किनारा है,
तू इर्ष्या-द्वेष ,न अभिमान की धारा है ।।
 
नतमस्तक सर्व प्राणी आगे तुम्हारे,
युगों-युगों तक चले तेरे सहारे।
कृति तुम्हारी धरातल पर पाँव पसारा है ।
तू इर्ष्या -द्वेष,न अभिमान की धारा है ।।

सीख मानवता को दे रही तू एक संदेश में,
सर्व प्राणी हितकारी बढ़े चलो,
सुख-दुःख दोनों तीरों के भेष में ।
निगलते जा रहे अब मानव तुझे,
बने और सब प्राणी बेसहारा हैं ।
न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा ।।
---------------------------------------------

रचनाकार-राजेन्द्र कुमार मंडल 
जन्म-10-02-1996
पता-ग्राम +पोस्ट-रामविशन पुर ,ward-06
थाना-राघोपुर,जिला-सुपौल 
बिहार-852111
Mob-9771199373
E-mail -rajendrakrmd97711@gmail.com नदी
नदी

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न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा है ,
हर्षित हैं सर्व प्राणी वहाँ,
जहाँ-जहाँ तूने पाँव पसारा है ।।
रोम- रोम धरा का पुलकित ,
प्राणी मिटाते प्यास जहाँ किनारा है,
तू इर्ष्या-द्वेष ,न अभिमान की धारा है ।।
 
नतमस्तक सर्व प्राणी आगे तुम्हारे,
युगों-युगों तक चले तेरे सहारे।
कृति तुम्हारी धरातल पर पाँव पसारा है ।
तू इर्ष्या -द्वेष,न अभिमान की धारा है ।।

सीख मानवता को दे रही तू एक संदेश में,
सर्व प्राणी हितकारी बढ़े चलो,
सुख-दुःख दोनों तीरों के भेष में ।
निगलते जा रहे अब मानव तुझे,
बने और सब प्राणी बेसहारा हैं ।
न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा ।।
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रचनाकार-राजेन्द्र कुमार मंडल 
जन्म-10-02-1996
पता-ग्राम +पोस्ट-रामविशन पुर ,ward-06
थाना-राघोपुर,जिला-सुपौल 
बिहार-852111
Mob-9771199373
E-mail -rajendrakrmd97711@gmail.com नदी