मैं सबसे पहले माता सरस्वती को नमन करता हूँ।इस कविसम्मेलन के आयोजन कर्ता मंच कोराकाग़ज़ और सहयोगियों का सादर आभार व्यक्त करता हूँ। मैं अपनी बात कहता हूँ --- मेरा परिचय-- मैं जीवन की अनुभूति अपने अनुभव लिखता हूँ। प्रेम सत्य और तथ्य ढूंढने की कोशिश में रहता हूँ। पाठक श्रोता साथ निभाओ मेरी हिम्मत बनजाओ। मैं पंछी उन्मुक्त मगन सा एहसास तुम्हारे कहता हूँ। विषय - 'शिक़ायत' ( कोरोना और बे-मौसम बरसात ) अब कविता पढ़िए : - 01 कोरोना के क़हर से तो पूरा विश्व परेशान था ही ऊपर से अचानक से मौसम बदल कर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा था।किसान का बेटा होने के नाते तब मैंने कुछ लिखा था।आओ #kkपाठकपुराण के साथ आज मैं किसानों_के_दर्द को लेकर ईश्वर को कुछ ताने मार बैठा हूँ जो आपके साथ साझा कर रहा हूँ मेरा प्रयास कैसा रहा मुझे जरूर बताएं आपका स्वागत है... 💐💐💐 सत्यम शिवम सुंदरम , कहते तुझको शंकर है ! ख़ुशहाली की उम्मीदों पर , तुमने फेंका कंकर है ! 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 करवट मौसम ने बदली, तूफ़ानी सा मंज़र है कर्मशीलता के सीने में, घोंपा त