भारतीय विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर नए सिरे से बल देते हुए जिस तरह यह कार्रवाई की क्षमता में सुधार की प्रक्रिया रोकने के लिए हथकंडे कामयाब होने वाले नहीं है उससे एक तरह से वह देश कटघरे में ही खड़ा हुए जो विचार विमर्श और वार्ड के बहाने इसमें आनंद लगाने में लगे हुए हैं संयुक्त राष्ट्रीय और विशेष रूप से उसकी सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है कि लंबे समय से जताई जा रही है लेकिन बात बनी नहीं पा रही इसका कारण यह है कि कुछ देश सुरक्षा परिषद में सुधार की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं जो कि सुरक्षा परिषद में सुधारों में देरी हो रही है इसलिए ना केवल उसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं बल्कि विश्व जनमत की दृष्टि में यह संस्था अपना महत्व भी होती जा रही है मैं किसी भी वैश्विक समस्या के समाधान में सहायक बनाना तो दूर रहा कोई उम्मीद भी नहीं जा पा रही है यदि सुरक्षा परिषद को अपनी महत्ता बनाए रखनी है तो उसमें सुधार के लिए सभी देशों और विशेष रूप से उसके स्थाई सदस्यों को प्रतिबद्धता का परिचय देना होगा और इस क्रम में उन देशों पर दबाव बढ़ाना होगा जो सुधारों को डालने में लगे हुए हैं ©Ek villain #सुरक्षा परिषद में सुधार का समय #Ride