षडयंत्रो के दाग बहुत गहरे है षडयंत्रो में शामिल अपनों के चेहरे है विरासत का सरेआम हो गया चीर प्यादे सोचने लगे है बन जाए वजीर कुछ यूं बेपर्दा की गई बातें सारी जैसे जुदा जुदा थी जिन्दगी उनकी हमारी गिराई है मेरे अपनो ने ही मेरे घर की दिवार वो जानते थे नमीं आखों की मेरी इसलिए सीलन तलक कर रहे थे इंतजार ©Manu Kapila षडयंत्र #mukhota