हर इक आग़ाज़ का अंजाम तय है सहर कोई हो उसकी शाम तय है हिरन सोने का चाहेगी जो सीता बिछड़ जाएँगे उस से राम तय है -📝 राजेश रेड्डी ©SB Shivam Mishra 📝 राजेश रेड्डी