मैं गौरव करुँ उण माटी रो, जै मीराँ बाई रो देश, वो करती भगती प्रभु श्यामा की, वो दे गई प्रेम संदेश,,,,, मीरा अर्थात् """प्रेम का दुसरा नाम",,,, हे! प्रेम का ढिढोरा पीटने वाली , " नग्न कामुक "हसीनाओं प्यार वासनाओ का नही, वो"भावनाओ"का विषय है,,,, अपने यौवन के नग्न प्रदर्शन को प्रेम नही ,,,