#दोहरी मानसिकता के लोग #औरत को समझते भोग #कशमकश में रहती स्त्री #जिंदगी #बंधन तो बँधा, रिश्तों में न कोई अपना #ठौर मनमाफिक रिश्ते देते जब दर्द बड़े #ज़िन्दगी बनी कठपुतली अपने ही खिंचे डोर सबको.. अपनी कहनी अपनी सुननी टूटता है मन...ढूँढे कोई #ओर_छोर मिले कोई अपना सा जो है सपना सा थाम ले आकर हाथ,कोई तो होगी ऐसी भोर.... ©Manju Sharma