#शृंगार.. तेरे शृंगार का जलवा् कयामत से जियादा है.. कोई तो शाम मोहन वो, बनी जिसकी तू राधा है...!! लटे् उलझी हुयी तेरी, कोई उलझन नहीं लेकीन् कठीन जितना समझते हो. प्यार उतना ही साधा है...!! बता दो राज वो गहेरा, दिल में कब तक छुपाती हो. कभी गुलाब, कभी गजरा् कत्ल का क्या् इरादा है..!! लुटा दूं शृंगार पर तेरे, मैं,जमीं,आस्मां,तारे.. खुली जो नींद से पलके, टुटेगा मै वो वादा हूं..!! @राहुल मोकळे,औरंगाबाद्. ©Rahulm Mokle #tootadil