ना थी कोई चिंता ना कोई फिक्र.. अपनी दुनिया में थी मसरूफ, खुशियों का ही होता था जिक्र सबसे मिलता था दुलार.. प्यार करते थे सब बेशुमार हर जिद्द होती थी पूरी.. रही ना कोई भी ख्वाहिश अधूरी अपनी गुड़िया की शादी थी रचाई.. इस बहाने खाई खूब मिठाई अब भी याद आते हैं वो पल.. ज़िन्दगी कितनी होती थी सरल A daily challenge given by Poets 786 💜💜 #yqpजब_मैं_छोटी_थी 🍒Collab with our hindi prompt and share your thoughts💜 🍒Must use the #poet786 🍒Maintain all the hashtags.