मैं ऐसा अंगदान करुँगा अंधे को आँखें बहरे को कान दूँगा लंगड़े को टाँगे गूँगे को जुबान दूँगा। किसी बेसहारा को दे देना बाजुयें मेरी इनसानियत की हों पूरी आरजुयें मेरी। मेरा दिल लगा देना किसी बेवफा को कि वो वफा करना सीख जाये मुहब्बत में मैं कुछ ऐसा मुकाम करुँगा। हाँ मैं कुछ ऐसा अंगदान करुँगा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ अंगदान