ऐ ज़िंदगी! ज़रा ठहर, दो पल बैठ और बैठकर मुझसे बात कर, सुन ज़िंदगी, अब तो गले लगा ले, कि कब तक तू यूं मुझसे रुठी रहेगी और कब तक मैं तुम्हें मनाती रहूंगी! ज़रा नज़रें उठाकर देख तो मौत किस क़दर बाहें फैलाए खड़ी है, अरे देख तो! कितने प्यार से मुझे बुला रही है... और इक मैं हूं, जो तुझ पर जां निसार कर रही हूं, तुझे मनाने की ख़ातिर खुद को तार तार कर रही हूं। ये ख़्वाहिशों का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है, ज़िंदगी हमें गले लगाती नहीं, और मौत से यारी हमें भाती नहीं।। #yqdidi #smpoetry #zindagi #maut #kavita #lonliness #yqhindi #yqurdu