"मैं" मैं में डूबे को ख़ुद में ही मैं न मिला, मैं जहां है वहां फिर ये मैं न मिला। मैं नहीं है तुम्हें तो तुम्हारा हूँ मैं, है जिसमें ये मैं, उसे मैं न मिला। मैं समझने न देता हक़ीक़त में मैं, मुमकिन है उसको कि मैं न मिला। मैं से देखा उसे तो ये समझा हूँ मैं, मिला पैसे में मैं, श्रम में मैं न मिला। मैं जिसदिन जगेगा रहेगा न मैं, न अफ़सोस होगा कि मैं न मिला। मैं में आकर बुरे काम करता हूँ मैं, लगता 'डिअर' मैं से मैं न मिला। मैं - मैं ख़ुद, स्वयं (myself) मैं - अहम, घमण्ड (pride) अहम - अहमियत, तवज्जो (respect) ये सभी अर्थ सिर्फ़ एक 'मैं' से निकलते हैं, बस उसके समय व स्थान प्रयोग की अहमियत है, इसलिए हर एक "मैं" का अर्थ उसके समय व स्थान के साथ ही बदल जायेगा,, अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप