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"मैं" मैं में डूबे को ख़ुद में ही मैं न मिला, मैं ज

"मैं"
मैं में डूबे को ख़ुद में ही मैं न मिला,
मैं जहां है वहां फिर ये मैं न मिला।

मैं  नहीं है  तुम्हें तो  तुम्हारा  हूँ  मैं,
है  जिसमें ये  मैं, उसे  मैं न मिला।

मैं समझने न देता  हक़ीक़त में  मैं,
मुमकिन है उसको कि मैं न मिला।

मैं से देखा उसे  तो ये समझा हूँ मैं,
मिला पैसे में मैं, श्रम में मैं न मिला।

मैं  जिसदिन  जगेगा  रहेगा  न  मैं,
न अफ़सोस होगा  कि मैं न मिला।

मैं  में आकर बुरे काम करता हूँ  मैं,
लगता  'डिअर'  मैं  से  मैं न मिला। मैं - मैं ख़ुद, स्वयं (myself)
मैं - अहम, घमण्ड (pride)
अहम - अहमियत, तवज्जो (respect)

ये सभी अर्थ सिर्फ़ एक  'मैं'  से निकलते हैं,
बस उसके समय व स्थान प्रयोग की अहमियत है,
इसलिए हर एक "मैं" का अर्थ उसके समय व स्थान के साथ ही
बदल जायेगा,, अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप
"मैं"
मैं में डूबे को ख़ुद में ही मैं न मिला,
मैं जहां है वहां फिर ये मैं न मिला।

मैं  नहीं है  तुम्हें तो  तुम्हारा  हूँ  मैं,
है  जिसमें ये  मैं, उसे  मैं न मिला।

मैं समझने न देता  हक़ीक़त में  मैं,
मुमकिन है उसको कि मैं न मिला।

मैं से देखा उसे  तो ये समझा हूँ मैं,
मिला पैसे में मैं, श्रम में मैं न मिला।

मैं  जिसदिन  जगेगा  रहेगा  न  मैं,
न अफ़सोस होगा  कि मैं न मिला।

मैं  में आकर बुरे काम करता हूँ  मैं,
लगता  'डिअर'  मैं  से  मैं न मिला। मैं - मैं ख़ुद, स्वयं (myself)
मैं - अहम, घमण्ड (pride)
अहम - अहमियत, तवज्जो (respect)

ये सभी अर्थ सिर्फ़ एक  'मैं'  से निकलते हैं,
बस उसके समय व स्थान प्रयोग की अहमियत है,
इसलिए हर एक "मैं" का अर्थ उसके समय व स्थान के साथ ही
बदल जायेगा,, अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप