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आभास हुई है मुझे **************** झूठ और फरेब से ज

आभास हुई है मुझे
****************
झूठ और फरेब से जगमगाती दुनिया में,
भारी   मन   से   मैं   हंसना   चाहता  हूं।
आभास  हुई  है  मुझे   कहीं   तन्हाई  में,
आंसुओ  कि  धारा अब  आंखों से  नहीं,
मुख से निकालना चाह

सोचा  धर  दूं  दो  हांथ  अपने  सोंच पर,
कुछ  पल  बाद  रहस्यमई आवाज  आई,
तु अधिर मत हो,
मैं कुछ  पल  सुकून  से  रोना चाहता  हूं।
झूठ और  फरेब से जगमगाती दुनिया में,
भारी   मन   से   मैं   हंसना  चाहता  हूं।।

बेसुध  पड़ा  है  आज  ज्ञानियों  का  दृष्टि,
कल्पना    भी  अभिषप्त   हो   चुका   है।
रहम  करो   कल्पती  सुनहरी  धरती  पर,
मैं अंतर मन फिर से
हकीकत को पुकारना चाहता हूं।
झूठ और फरेब से जगमगाती दुनिया में,
भारी मन से मैं हंसना चाहता हूं।।
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प्रमोद मालाकार ...… 09.07.2013

©pramod malakar
  #आभाष हुई है मुझे।

#आभाष हुई है मुझे। #कविता

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