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A dedication to My Father who is no more with me.

A dedication to My Father who is no more with me.
वख्त की दहलीज़ पर,
कुछ बातें छीन सी गयी है,
गुजरते गुजरते अफ़साने सी ज़िन्दगी में,
फ़साने भी बदल से गये है,
वख्त की दहलीज़ पर......
यह आना भी एक,
और जाना भी कोई कहानी कह गयी है,
हम या तुम कैसे एक ड़ोर में,
एक रिस्ते से बँधे,
अनजाने अजनबी से,
मैं तुम्हे खोजता हूँ,
तुम कहीं नजर आते ही नही,
वख्त की दहलीज़ पर..….....
शायद अहसास नही तुम्हें,
आस भी टूटने लगा मेरा,
अब बस किस्सों और कहानियों का हिस्सा,
या वजूद मेरा तुम,
अब भी चुपके से,
साथ चलते हो मेरे,
कैसे अब भी नजर आते नही,
कोई अनदेखा पर्दा फिर से क्यों उठाते नही,
न पहुंचने वाली रास्तों से यूँ ही गुज़रता हूँ,
वख्त की दहलीज़ पर.........
वख्त की दहलीज़ पर,
कुछ बातें छीन सी गयी है,
गुजरते गुजरते अफ़साने सी ज़िन्दगी में,
फ़साने भी बदल से गये है,
वख्त की दहलीज़ पर......

©Prashant Roy
  #Loosingfather#वख्त की दहलीज़ पर
prashantroy0606

Prashant Roy

Bronze Star
New Creator

#Loosingfather#वख्त की दहलीज़ पर #कविता

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