*कृष्ण से साक्षात्कार* जब हमारा वार्तालाप अंतरात्मा से हो, समझिएगा *ईश्वर* से वार्तालाप है... शेष अनुशीर्षक में पढ़िए बात पुरानी है मगर आज के वर्तमान में भी इसे अनुभव कर रहा हूं, शायद आपमें से कुछ ने पहले भी ये पड़ा हो, बहुत सब ने नहीं पड़ा होगा Decmber 1999 का अंतिम सप्ताह मेरी wife की third chemo होनी थी तीन दिन बाद,और स्थिति ये कि कुछ था नहीं मेरे पास, घर से किसी से मांगने की इच्छा बहुत पहले दम तोड़ चुकी थी। कड़ाके की ठंड में मोती सा कंबल ओढ़े कुर्सी में टेरेस पे बैठा,रात का अंधेरा देख रहा था और मन में खीझ बड़ती जा रही थी। कहीं से कुछ होता न देख कर आंखे बस रो देने को तैयार और मन ही मन सब लोग गिन डाले जिनसे