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परिंदा हवा से उड़ने की , बगावत करता क्यों नही , गर

परिंदा हवा से उड़ने की ,
बगावत करता क्यों नही ,
गर बैठा रहा ज़ियादा देर,
तो फिर पर (पंख) कटवायेगा ।

कभी नमक मिर्चि ,
 तो कभी गर्म पानी जख़्मी जिश्म पर,
डाला जायेगा,
सम्भलता क्यो नहीं ए ज़माने तु,
अत्याचारों पर अत्याचार सहता जा रहा है,
फिर से कोई भगत सिंह राजगुरु,
सुखदेव की तरह ,
किसी का बेटा, किसी का भाई ,
किसी का पति ,
फांसी के फंदे चढोया जायेगा ।

बंध रहे है फिर से ,
गुलामी की जंजीरों में ,बीच चौराहे पर,
किसी के छोटे - छोटे बच्चो को कुचला जायेगा ,
तो किसी का बीच चौराहे पर गला काटा जायेगा ।

"पिंकी "भूलकर बैठे है सब ,
कब -कब आते है शहीद दिवस, तो
कई दरिंदें बैठे है अपना घोसला जमाये,
गर हद हुई पार उनकी  ,तो
फिर से मिट्टी का तेल डालकर ,
कोई जिंदा जीश्म जलाया जायेगा ।

©Pinki
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