Nojoto: Largest Storytelling Platform

चराग़-ए-ज़िन्दगी तो होगी पर फ़रोंज़ाँ अपनी ये रूठी ज़िन

चराग़-ए-ज़िन्दगी तो होगी पर फ़रोंज़ाँ अपनी ये रूठी ज़िन्दगानी न होगी ।
आयेंगी फ़स्ल-ए-बहाराँ साल भी मुबारक होंगे पर अब कोई कहानी न होगी ।।

ये तक़्दीर-ए-आलम भी मेरे बाद तुम्हारे हवाले मेरे हमसफर हमनशीं साथियों ।
फ़रोग़-ए-बज़्म-ए-इम्काँ तुम्ही से है साथियों अब तो ये साँस भी कल मेरी न होगी ।।

जिओ मेरे मुल्क के नौ-जवानों देखो तुम्हीं ये हसीं आतिशें ज़ुल्फ़-ए-जानाँ की ।
हम तो अपने आखिरी सफर पर हैं इन सँवरते गेसू-ए-दौरान अब ये रूह न होगी ।।

टूटकर जब तक बिखरेगी हस्ती नहीं ये हमारी निकलेगा कल वो आफ़ताब कैसे ।
जबीन-ए-दहर पर पिघलेंगी अफ़्शाँ तूलू-ए-मेहर होगी हरतरफ बस ये जाँ न होगी ।।

सुन ऐ 'अल्फाज' माज़ी तेरा मुस्तक़बिल वज़ूद बन के बैठा है अब तेरे सामने यहाँ ।
कि जिस दिन जगमगाएगा शबिस्ताँ तेरी मुनव्वर से यहाँ सब तो होंगे पर धड़कन न होगी ।।

 #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी 
हमारी यह रचना.. मशहूर शायर और पत्रकार "अब्दुल मजिद सालिक"(1894-1959) के अद्भुत व सुंदरतम् उर्दू शब्दों पर आधारित है...
यह अपने समय के एक बहुत ही ख्याति प्राप्त व उम्दा रचनाकार रहें हैं..🙏🙏

**चराग़-ए-ज़िंदगी--Lamp of life
**फ़स्ल-ए-बहाराँ-- spring season
**फ़रोज़ाँ-- shinning, luminous
**तक़्दीर-ए-आलम--destiny of word
चराग़-ए-ज़िन्दगी तो होगी पर फ़रोंज़ाँ अपनी ये रूठी ज़िन्दगानी न होगी ।
आयेंगी फ़स्ल-ए-बहाराँ साल भी मुबारक होंगे पर अब कोई कहानी न होगी ।।

ये तक़्दीर-ए-आलम भी मेरे बाद तुम्हारे हवाले मेरे हमसफर हमनशीं साथियों ।
फ़रोग़-ए-बज़्म-ए-इम्काँ तुम्ही से है साथियों अब तो ये साँस भी कल मेरी न होगी ।।

जिओ मेरे मुल्क के नौ-जवानों देखो तुम्हीं ये हसीं आतिशें ज़ुल्फ़-ए-जानाँ की ।
हम तो अपने आखिरी सफर पर हैं इन सँवरते गेसू-ए-दौरान अब ये रूह न होगी ।।

टूटकर जब तक बिखरेगी हस्ती नहीं ये हमारी निकलेगा कल वो आफ़ताब कैसे ।
जबीन-ए-दहर पर पिघलेंगी अफ़्शाँ तूलू-ए-मेहर होगी हरतरफ बस ये जाँ न होगी ।।

सुन ऐ 'अल्फाज' माज़ी तेरा मुस्तक़बिल वज़ूद बन के बैठा है अब तेरे सामने यहाँ ।
कि जिस दिन जगमगाएगा शबिस्ताँ तेरी मुनव्वर से यहाँ सब तो होंगे पर धड़कन न होगी ।।

 #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी 
हमारी यह रचना.. मशहूर शायर और पत्रकार "अब्दुल मजिद सालिक"(1894-1959) के अद्भुत व सुंदरतम् उर्दू शब्दों पर आधारित है...
यह अपने समय के एक बहुत ही ख्याति प्राप्त व उम्दा रचनाकार रहें हैं..🙏🙏

**चराग़-ए-ज़िंदगी--Lamp of life
**फ़स्ल-ए-बहाराँ-- spring season
**फ़रोज़ाँ-- shinning, luminous
**तक़्दीर-ए-आलम--destiny of word
akalfaaz9449

AK__Alfaaz..

New Creator