"मुर्शिद" मुझे बहुत इंतिज़ार है कराया तुमने हाँ, लेकिन यक़ीनन सब्र करना भी है सिखाया तुमने कभी किसी से खुलकर नहीं कुछ भी है बताया मैंनें कैसे मेरे लबों की ख़ामोशी को भी है पढ़ लिया तुमने जिन एहसासात से महरूम थी मैं अबतक दिल में उस एहसास को भी तो है जगाया तुमने "मुर्शिद" मुझे बहुत इंतिज़ार है कराया तुमने हाँ, लेकिन यक़ीनन सब्र करना भी है सिखाया तुमने छोड़ दी थी जब सबसे सारी उम्मीदें करना मैंनें दुबारा उन उम्मीदों को भी सिर्फ़ है जगाया तुमने देखकर तुमको शर्म से जब झुक गयीं थी नज़रें मेरी मेरी उन झुकी नज़रों को देखकर भी है मुस्कुराया तुमने "मुर्शिद" मुझे बहुत इंतिज़ार है कराया तुमने हाँ, लेकिन यक़ीनन सब्र करना भी है सिखाया तुमने गुज़ारे हैं तेरे इंतिज़ार में फ़ुर्क़त के दिन भी मैंनें सवाल ये,ऐसे दिन भी क्या कभी भी है बिताया तुमने नहीं पसंद था मुझको यूँ सँवरना कभी भी फ़िर भी अपनी पसंद के लिये मुझे भी है सजाया तुमने "मुर्शिद" मुझे बहुत इंतिज़ार है कराया तुमने हाँ, लेकिन यक़ीनन सब्र करना भी है सिखाया तुमने बिसरी बातों के सहारे बसर की है अपनी ज़िंदगी मैंनें क्या कभी ऐसी यादों से पीछा भी है छुड़ाया तुमने शायद मैं ही यूँ ख़्वाबों को बुनती और सँजोती रहती हूँ या फ़िर कभी हमारे ख़्वाबों का घर भी है बनाया तुमने "मुर्शिद" मुझे बहुत इंतिज़ार है कराया तुमने हाँ, लेकिन यक़ीनन सब्र करना भी है सिखाया तुमने #waiting