घूंघट में छुपी एक चांद पलकें छुपाए मंद मंद मुस्काए ये चांद........... बहुत अनमोल है,मोल कैसे लगाओगे, मां की दुलारी पापा की राजकुमारी बिटिया दो दो कुल को अपने....... संस्कारों से महकाएगी आस लगी है घर भर की लाडो मेरी खूब नाम कमाएगी।। ☺️ • Like • Comment • Share • ☺️ _______________________________ सहभागिता सबके लिए खुली है |#आपकी_सहेली शीर्षक : #कमज़ोरी #समाज