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पहले खूब चलती थी बल खा के और लहरा के ऊंची इमारतों

पहले खूब चलती थी बल खा के और लहरा के
ऊंची इमारतों ने पंख कतर दिए ठंडी हवाओं के
हवा,पानी धरती जंगल, लोग और न जाने क्या क्या
सब मिलावटी हो गया, सिवाये सूरज की शुजाओ के इमारतें (buildings) बुलंद हुई - Here industrialization 
अब्र (clouds) मुड़ गए - Rain scarcity 
दरख़्त (trees) कट गए - Deforestation 
परिन्दे (birds) उड़ गए - Extinction of animals and birds

पेड़ पौधे है गुम-शुदा, बचपन वाले बादल अब कहाँ बरसते है ?
खो गए है कौवे! अब हम चिड़िया की चहक को भी तरसते है!
-Amena Saiyed
पहले खूब चलती थी बल खा के और लहरा के
ऊंची इमारतों ने पंख कतर दिए ठंडी हवाओं के
हवा,पानी धरती जंगल, लोग और न जाने क्या क्या
सब मिलावटी हो गया, सिवाये सूरज की शुजाओ के इमारतें (buildings) बुलंद हुई - Here industrialization 
अब्र (clouds) मुड़ गए - Rain scarcity 
दरख़्त (trees) कट गए - Deforestation 
परिन्दे (birds) उड़ गए - Extinction of animals and birds

पेड़ पौधे है गुम-शुदा, बचपन वाले बादल अब कहाँ बरसते है ?
खो गए है कौवे! अब हम चिड़िया की चहक को भी तरसते है!
-Amena Saiyed
vishalvaid9376

Vishal Vaid

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