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यह दृश्य कितना बदल गया, अवलोकन से मालूम हुआ है झूठ

यह दृश्य कितना बदल गया,
अवलोकन से मालूम हुआ है
झूठ की अट्टालिकाओं के नीचे
सच का झौपङा दबा हुआ है 

 चाह थी मन मे ,सच को देखूँ, 
इसी लिए निगरानी पर हूँ ।
कैसे देखूँ?लालच की धुंध मे,
तौर आँख का गिरा हुआ है ।
जाच भी हुई हैं ,कि कमी कहाँ है?
रिपोर्ट भी देखी,समाधान भी,
किन्तु सब बेकार हो गए, 
ईमान संकेतक डिगा हुआ है ।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj
  #dhundh विलुप्त होता सच

#dhundh विलुप्त होता सच #कविता

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