Nojoto: Largest Storytelling Platform

कलियुग के सागर में, चली मेरी नैया ! Part 1 to 5

कलियुग के सागर में, चली मेरी नैया ! 
Part 1 to 5 

Story in caption  मैं राजीव शर्मा बचपन में मुझे सब मिस्टर साइंटिफिक बुलाते थे, हर चीज के पीछे का कारण जानने में मुझे बहुत जिज्ञासा थी l इसीलिए, मैं बहुत सवाल करता था, इतने सवाल की, जवाब देने वाले तंग आकर चुप हो जाते थे l 
मैं महज 10 साल का था, तब उस भयानक हाथ से ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी l वह दिन थे 1950 के l मैं अपनी प्यारी सी छोटी सी नैय्या लेकर निकल पड़ा था, अपने मम्मी पापा के साथ, इस कलयुग के समंदर में सफर करनेl 
उस रात एक तूफान आया, हमारी छोटी सी नैया, बड़े-बड़े लहरों का सामना करने लगी, और आखिर, वह तूफान मेरे मम्मी पापा को कुछ इस तरह खा गया जैसे, कोई वेल खुद से 1000 गुना चोटी, कैट फिश को खाती है l
चले गए मेरे मां-बाप! मुझे छोड़कर, कलियुग के इस काले समंदर में l अकेले!....
PART 2
अकेलेपन से बचने के लिए, मैं यादों का सहारा लेता था, यादों के शामियाने में हरदम खोया रहता था, और वहीं पर मिलते थे मुझे कुछ नक्शे, जो मुझे मेरे पापा ने दिए थे, वह बड़े ही सहायक थे, कलियुग के इस भवसागर में जीने के लिए l
मुझे अभी तक याद है, मैंने एक बार पापा से पूछा था,
" पापा इस कलियुग के गहरे समंदर का पानी काला क्यों है?" तब उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से मेरे सवाल का जवाब दिया था, उन्होंने कहा " इस पानी का रंग इसलिए काला है बेटा! क्योंकि, यहां पर अच्छाई से ज्यादा बुराई है, इमानदारी से ज्यादा बेईमानी और धोखा है, यहां पर धर्म से ज्यादा अधर्म और श्रद्धा से ज्यादा अंधश्रद्धा है बेटा!
कलियुग के सागर में, चली मेरी नैया ! 
Part 1 to 5 

Story in caption  मैं राजीव शर्मा बचपन में मुझे सब मिस्टर साइंटिफिक बुलाते थे, हर चीज के पीछे का कारण जानने में मुझे बहुत जिज्ञासा थी l इसीलिए, मैं बहुत सवाल करता था, इतने सवाल की, जवाब देने वाले तंग आकर चुप हो जाते थे l 
मैं महज 10 साल का था, तब उस भयानक हाथ से ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी l वह दिन थे 1950 के l मैं अपनी प्यारी सी छोटी सी नैय्या लेकर निकल पड़ा था, अपने मम्मी पापा के साथ, इस कलयुग के समंदर में सफर करनेl 
उस रात एक तूफान आया, हमारी छोटी सी नैया, बड़े-बड़े लहरों का सामना करने लगी, और आखिर, वह तूफान मेरे मम्मी पापा को कुछ इस तरह खा गया जैसे, कोई वेल खुद से 1000 गुना चोटी, कैट फिश को खाती है l
चले गए मेरे मां-बाप! मुझे छोड़कर, कलियुग के इस काले समंदर में l अकेले!....
PART 2
अकेलेपन से बचने के लिए, मैं यादों का सहारा लेता था, यादों के शामियाने में हरदम खोया रहता था, और वहीं पर मिलते थे मुझे कुछ नक्शे, जो मुझे मेरे पापा ने दिए थे, वह बड़े ही सहायक थे, कलियुग के इस भवसागर में जीने के लिए l
मुझे अभी तक याद है, मैंने एक बार पापा से पूछा था,
" पापा इस कलियुग के गहरे समंदर का पानी काला क्यों है?" तब उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से मेरे सवाल का जवाब दिया था, उन्होंने कहा " इस पानी का रंग इसलिए काला है बेटा! क्योंकि, यहां पर अच्छाई से ज्यादा बुराई है, इमानदारी से ज्यादा बेईमानी और धोखा है, यहां पर धर्म से ज्यादा अधर्म और श्रद्धा से ज्यादा अंधश्रद्धा है बेटा!