ये मासूम निगाहें मेरी तड़प के शोर करतीं, दूर होता देख तुमको रो रो के भोर करतीं। क्या से हुए हैं क्या, कैसे करें बयाँ? ये हाल जो हुआ है, है कुछ नया नया। हर हर्फ़ को समझते, निगाह नहीं पढ़ते, तुम सूरत ही तक के मेरी यूँ आगे जो हो बढ़ते। दिलबर हो बसता दिल में, ग़मगीन दिल न करतें, है ख़ुद से है ख़ुद का सौदा, दिल में तूफ़ाँ भरतें। ये आँख हैं समंदर बाहर से इसको न आंकों, मिस्मार सब है अंदर तुम आओ थोड़ा झाँको। ♥️ Challenge-816 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।