इंतज़ार मिला,हिज्र मिला ना आया तो बस मौसम विसाल का क्यों दुरी हैं,क्या खता हैं किस्मत क्यों बस खुदा को पता हैं इतिहास में भी कहीं नहीं लिखा क्यों जवाब ऐसे सवाल का मान लेते हैं किस्मत की बात हैं खुदा के लिखे में अपनी क्या औकात हैं जी लेते हैं ये मरी सी जिंदगी जागीर हैं यादों में उनकी ख्याल का #visal#hizr विसाल-मिलन हिज़्र-जुदाई